Categories: cover photoVideo

माँ गंगा की सुरक्षा में 1,100 जवान, ये गन्दगी फैलाने वालों को देखते ही मार देते हैं!

टीम डायरी

“माँ गंगा की सुरक्षा में 1,100 जवान तैनात हैं। ये गंगा जल में गन्दगी फैलाने वालों को देखते ही मार देते हैं। एक-एक सुरक्षा जवान 50-50 गन्दगीकर्ताओं को मारता है।”  यह कहना है पद्मश्री डॉक्टर अजय कुमार सोनकर का। अंडमान-निकोबार के डॉक्टर सोनकर देश के चुनिन्दा लोगों में शामिल हैं, जिनके काम की तारीफ़ पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम भी कर चुके हैं। डॉक्टर सोनकर स्वतंत्र वैज्ञानिक हैं। समुद्री जलजीवन (मरीन एक्वाकल्चर) पर शोध-अध्ययन में उनकी विशेषज्ञता है। उनके लिंक्डइन प्रोफाइल पर यह जानकारी है।

डॉक्टर सोनकर के मुताबिक, प्रयागराज में जारी महाकुम्भ के दौरान उन्होंने लगातार कई मौक़ों पर गंगा के अलग-अलग घाटों से जल के नमूने लिए। ख़ास तौर पर उन घाटों से जहाँ ऊपरी तौर पर गन्दगी बहुत अधिक दिख रही थी। साथ ही, हानिकारक जीवाणुओं (बैक्टीरिया) की मौज़ूदगी भी वहाँ स्पष्ट थी। ऐसी जगहों से लिए गए गंगा जल के नमूनों का प्रयोगशाला में उन्होंने परीक्षण किया। इन परीक्षणों से पता चला कि गंगा जल में जिस तेजी से हानिकारक जीवाणुओं की बढ़त हुई, उससे अधिक तेजी से उन्हें मारकर खाने वाले जीवाणुभोजी (बैक्टीरियोफेज) भी मिले। इन जीवाणुभोजियों ने इतनी तेजी से अपना काम किया, गंगा के जल पवित्रता, शुद्धता पर आँच नहीं आई। 

नीचे दिए गए वीडियो में डॉक्टर सोनकर का साक्षात्कार है, देखा जा सकता है।  

डॉक्टर सोनकर के मुताबिक, गंगा जल में 1,100 प्रकार के जीवाणुभोजी उन्हें अपने अध्ययन के दौरान मिले हैं।  इनमें से एक-एक जीवाणुभोजी 50-50 हानिकारक जीवाणुओं को मारकर खा जाने में सक्षम है। बावज़दू इसके कि इन जीवाणुभोजियों का आकार जीवाणुओं की तुलना 50 गुणा तक छोटा होता है। ग़ौर करने लायक है कि जीवाणुभोजी या बैक्टीरियोफेज वास्तव में एक तरह का वायरस यानि विषाणु है। इसे सर्वव्यापी विषाणु माना जाता है। यह हानिकारक, रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं को ही मारकर खाता है। डॉक्टर सोनकर ने ही इन विषाणुओं को गंगा का ‘सुरक्षा-प्रहरी’ (सिक्योरिटी गार्ड) नाम दिया है। 

डॉक्टर सोनकर ही नहीं, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के तंत्रिका विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर विजय नाथ मिश्र ने भी गंगा जल में जीवाणुभोजियों की मौज़ूदगी की पुष्टि की है। उनका भी निष्कर्ष यही है कि इन जीवाणुभोजियों के ही कारण गंगा जल हमेशा अमृत के समान रहता है। वह रोगजनक जीवाणुओं से दूषित नहीं होता।

यहाँ ध्यान दिला दें कि कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार और वहाँ के प्रदूषण नियंत्रण मंडल (यूपीपीसीबी) को फटकार लगाई थी। सीपीसीबी की रिपोर्ट में कहा गया था कि गंगा जल आचमन के लायक तो छोड़िए, नहाने लायक भी नहीं है। इस जल में मल में पाए जाने वाले जीवाणुओं की मौज़ूदगी पाई गई है, जो लोगों को बीमार कर सकते हैं।

हालाँकि, इस पर डॉक्टर सोनकर कहना है कि अगर यह सही होता, देशभर के अस्पतालों में अब तक गंगा जल और संगम में नहाने के बाद बीमार पड़ने वाले रोगियों की क़तार लग चुकी होती! लिहाज़ा, यहाँ यह भी याद दिलाना ज़रूरी है कि महाकुम्भ के दौरान अब तक 50-60 करोड़ लोग पवित्र संगम में स्नान कर चुके हैं। यह आँकड़ा लगातार बढ़ रहा है क्योंकि महाकुम्भ का आयोजन अभी 26 फरवरी, महाशिवरात्रि तक चलने वाला है।  

 

 

सोशल मीडिया पर शेयर करें
Neelesh Dwivedi

Share
Published by
Neelesh Dwivedi

Recent Posts

साल 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य क्या वाकई असम्भव है? या फिर कैसे सम्भव है?

किसी महात्वाकांक्षी लक्ष्य को पटरी उतारने या हतोत्साहित करने का सबसे बढ़िया है, उस पर… Read More

1 day ago

इंसान इतना कमज़ोर कैसे हो रहा है कि इस आसानी से अपनी ज़िन्दगी ख़त्म कर ले?

अगर हमसे कोई सवाल करे कि हमारी ज़िन्दगी की कीमत क्या है? तो शायद ही… Read More

2 days ago

भारत को भी अब शिद्दत से ‘अपना भारतीय एलन मस्क’ चाहिए, है कोई?

अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन ने जिस तेजी से ‘डीप स्टेट’ (जनतांत्रिक नीतियों में हेरफेर करने… Read More

3 days ago

जयन्ती : गुरु गोलवलकर मानते थे- केवल हिन्दू ही पन्थनिरपेक्ष हो सकता है!

बात साल 1973 की है, राँची की। कार्यकर्ताओं के मध्य बैठक में अपने भाषण में… Read More

4 days ago

अब कोई ओटीपी देता नहीं, इसलिए बदमाश छीन लेते हैं, 12-13 तरीक़े हैं इसके, देखिए!

नीचे दिए गए वीडियो में बहुत ज़रूरी जानकारी है। वर्तमान डिजिटल दौर में हर व्यक्ति… Read More

5 days ago

इस देश को ‘दुनिया का सबसे बड़ा भीड़-तंत्र’ बनने से बचाइए ‘सरकार’, बचाइए!

पिछले साल आठ नवम्बर को बेंगलुरू के सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन संस्थान के जनसंख्या शोध… Read More

6 days ago