ये क्या है, किसी विचार का समर्थन या उससे ग्रस्त-त्रस्त हो जाना?

टीम डायरी, 13/6/2021

मामला पूरी तरह निजी है। फिर भी विचार के लिए एक रोचक विषय है और सोचक यानि सोचनीय भी। क्योंकि इसी तरह के मामले अक्सर समाज में वैमनस्य और भेद के भाव का कारण बनते हैं। लेकिन पहले इस विमर्श का जो घटना आधार बनी, उस पर एक नज़र डाल लेते हैं। 

तमिलनाडु के कोयम्बटूर जिले में रविवार, 13 जून को ही एक चर्चित विवाह हुआ है। चर्चित इसलिए क्योंकि इसमें दुलहन बनीं, पी ममता बनर्जी और दूल्हा, एएम सोशलिज़्म यानि समाजवाद। इन्हीं नामों के कारण दो दिन पहले से ही यह विवाह चौतरफ़ा सुर्ख़ियों में आ गया। इसके चर्चा में रहने का एक और कारण रहा, इसका आमंत्रण पत्र। यह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के मुखपत्र ‘जनशक्ति’ में प्रकाशित किया गया। इस ‘अख़बारी आमंत्रण पत्र’ में बाक़ायदा विवाह समारोहों की जानकारी दी गई। साथ ही मेज़बान परिवार के सदस्यों के नाम भी। ये नाम भी गौर करने लायक। जैसे- एएम कम्युनिज़्म (साम्यवाद) और एएम लेनिनिज़्म (लेनिनवाद)। ये दोनों दूल्हे के बड़े भाई हैं। ऐसे ही, लेनिन ( रूस के बड़े साम्यवादी नेता) मोहन, जो दूल्हे के पिता हैं। 

अलबत्ता, अख़बार में इस आमंत्रण के छपने और इसमें इस तरह के नाम होने पर कई लोगों ने इसे मजा़क समझा। लिहाज़ा ख़बरखोजियों ने इसकी पुष्टि करनी चाही। इस प्रक्रिया में उन्होंने न सिर्फ आमंत्रण पत्र को सही पाया। बल्कि दूल्हे के पिता से यह जानकारी भी मिली कि जिस कट्‌टूर गाँव में वे लोग रहते हैं, वहाँ इस तरह के नाम रखना सामान्य बात है। कई लोगों ने तो अपने बच्चों के नाम रूस, रोमानिया, वियतनाम, मॉस्को (रूस की राजधानी) वगैरह भी रखे हैं। क्योंकि वे सभी साम्यवाद की विचारधारा के कट्‌टर समर्थक हैं। इतना ही नहीं, वे तो यहाँ तक बता गए कि अगली पीढ़ी में भी वे अपने परिवार में इस परम्परा काे आगे बढ़ाएँगे। वे बताते हैं, “मैंने अपने एक पोते का नाम मार्क्सिज्म (मार्क्सवाद) रखा है। आगे अगर हमारे घर बेटी हुई तो उसका नाम क्यूबाइज़्म (क्यूबावाद) रखेंगे। इसलिए ताकि हमारी वह पीढ़ी भी साम्यवाद के विचार से जुड़ी रहे। उसे आगे बढ़ाती रहे।”

दुलहन के पिता भी ऐसे ही हैं। लेनिन मोहन के रिश्तेदार। पीढ़ियों से पुराने कांग्रेसी। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जब कांग्रेस में हुआ करती थीं, तब से यह परिवार उनका प्रशंसक है। इसीलिए उन्होंने घर की बिटिया का नाम पी ममता बनर्जी रख दिया। हालाँकि वह अब ‘समाजवाद को ब्याह दी गई’ है।

बहरहाल, ये तो हुई रोचक बात। बीते तीन-चार दिनों से लोग इसे बड़े चाव से पढ़-सुन रहे ही हैं। लेकिन इसी में सोचक तत्त्व भी निहित है। ये कि किसी विचार, व्यक्ति, व्यवस्था आदि के साथ इस तरह के जुड़ाव को क्या कहा जाए? समर्थन, कट्टर समर्थन या उससे ग्रस्त और त्रस्त होने की कोई अवस्था? इन प्रश्नों के उत्तर तलाशे जाने चाहिए। 

वैसे यहाँ कोई कह सकता है कि इसकी ज़रूरत क्या है? मामला निजी है। हर व्यक्ति अपनी श्रद्धा के अनुसार कहीं जुड़ने या न जुड़ने के लिए स्वतंत्र है। तर्क ये ठीक भी है। लेकिन एक हद तक ही। क्योंकि ग़ौर इस पर भी करना होगा कि जैसे-जैसे जुड़ाव कट्टरता, ग्रस्तता या संत्रस्तता में बदलता जाता है, वह मनोविकार का रूप ले लेता है। यही मनोविकार कभी नेताओं या विचारधारा के लिए कुतर्क गढ़ने, विरोधी विचार वालों को सरेआम अपमानित करने और यहाँ तक कि जान देने-लेने के लिए भी लोगों को उकसाता है। कभी, फुटबॉल के मैचों के दौरान खूनी संघर्षों के लिए प्रेरित करता है। कभी, काली त्वचा के लोगों को गोरी चमड़ी वालों के घुटने के नीचे दबकर सरेराह दम तोड़ देने पर मज़बूर करता है। और कभी पूरी दुनिया में धर्म आधारित क़त्ल-ओ-ग़ारत को बेलगाम हवा देता है। 

इसीलिए, मामला भले बेशक निजी हो। लेकिन इस पर विमर्श ज़रूर होना चाहिए। अपने लिए। अपनों के लिए। इंसान के लिए। इंसानियत के लिए। क्योंकि हम इंसान ही हैं, जो जड़ता तोड़कर आगे बढ़ने में सक्षम हैं।

सोशल मीडिया पर शेयर करें
Apni Digital Diary

Share
Published by
Apni Digital Diary

Recent Posts

अहमदाबाद विमान हादसा : कारण तकनीकी था, मानवीय भूल थी, या आतंकी साज़िश?

अहमदाबाद से लन्दन जा रहा एयर इण्डिया का विमान गुरुवार, 12 जून को दुर्घटनाग्रस्त हो… Read More

1 day ago

क्या घर पर रहते हुए भी पेशेवर तरीक़े से दफ़्तर के काम हो सकते हैं, उदाहरण देखिए!

क्या आपकी टीम अपने घर से दफ़्तर का काम करते हुए भी अच्छे नतीज़े दे… Read More

2 days ago

पहले से बड़ा और विध्वंसक होने वाला है ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ का अगला चरण! कैसे?

बीते महीने की यही 10 तारीख़ थी, जब भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के दौरान… Read More

3 days ago

हमें पाकिस्तानी ‘मैडम-एन’ से सावधान रहने की ज़रूरत है, या अपने ‘सर-जी’ से?

पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में पिछले महीने ज्योति मल्होत्रा नाम की एक… Read More

4 days ago

प्रकृति की गोद में खेलती जीवनशैली तीन वर्ष में ही हमें 10 साल जवान बना सकती है!

ख़ूबसूरत सभी लोग दिखना चाहते हैं। हमेशा युवा दिखने की इच्छा भी सब में होती… Read More

5 days ago

ये कैसा साम्प्रदायिक सद्भाव कि कोई जानकर गाय की तस्वीर डाले, बकरीद की बधाई दे?

दोहरे चरित्र वाले लोग लोकतांत्रिक प्रणाली और अभिव्यक्ति की आज़ादी जैसी सुविधाओं को किस तरह… Read More

6 days ago