नमो-भारत : स्पेन से आई ट्रेन हिन्दुस्तान में ‘गुम हो गई, या उसने यहाँ सूरत बदल’ ली?

नीलेश द्विवेदी, भोपाल मध्य प्रदेश

एक ट्रेन के हिन्दुस्तान में ‘ग़ुम हो जाने की कहानी’ सुनाते हैं। वह साल 2016 का था और अप्रैल का महीना। हिन्दुस्तान में उस वक़्त नरेन्द्र मोदी की सरकार को बने हुए मई के महीने में दो साल पूरे होने वाले थे। और नरेन्द्र मोदी की शैली के अनुरूप उनकी सरकार ‘कुछ बड़ा’ करने की तैयारी में थी। ऐसा, जिससे लोग चौंकें, जिसकी बातें करें। तो शायद उसी तैयारी के सिलसिले में कहीं यह भी तय हुआ होगा कि देश में तेज़ रफ़्तार ट्रेन चलाई जाए। ऐसी, जो ज़्यादा नहीं तो 200 किलोमीटर प्रतिघंटे के आस-पास की रफ़्तार से तो चले ही। पर इतनी ज़ल्दी तो यह ट्रेन बनाई नहीं जा सकती थी। भारत के पास ऐसी तकनीक भी नहीं थी। लिहाज़ा, स्पेन से पूरी की पूरी ट्रेन ही मँगवा ली गई। 

मुम्बई बन्दरगाह पर वह ट्रेन 21 अप्रैल 2016 को आ भी गई। स्पेन की टैल्गो ट्रेन। उसके आते ही जैसी अपेक्षा थी, देश में तुरन्त बातें शुरू हो गईं, नरेन्द्र मोदी सरकार बुलेट ट्रेन चलाने वाली है। हालाँकि अब तो चलने भी वाली है। बताते हैं कि 2026 तक अहमदाबाद-मुम्बई बुलेट ट्रेन का पहले चरण का परीक्षण हो जाएगा। लेकिन, तब तक इसकी सिर्फ़ चर्चा ही चर्चा थी। तो बहरहाल, टैल्गो आई। उसके परीक्षण भी हुए। पहले आगरा-पलवल, आदि छोटे-छोटे रेल-खंडों में इसे जाँचा गया। फिर सितम्बर-2016 में दिल्ली से मुम्बई तक इसे दौड़ाया गया। महज़ 12 घंटे में इसने इन महानगरों के बीच की दूरी नाप ली। आख़िर 180 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ़्तार वाली ट्रेन जो ‘थी’। 

टैल्गो ट्रेन को ‘थी’ इसलिए लिखा क्योंकि स्पेन में भले यह अब भी पटरियों पर दौड़ती हो, लेकिन भारत में यह वर्तमान नहीं है। या शायद कहीं ‘ग़ुम हो गई’ है! जिसका अब तक कोई पता नहीं चल रहा है। किसी को इसकी सुध भी नहीं है क्योंकि सरकार ने इसे भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप नहीं माना और इसे भारत की पटरियों पर दौड़ाने का मंसूबा ख़ारिज़ कर दिया। यह बात है, 2018 के आस-पास की। हालाँकि इसके अगले साल फरवरी 2019 में एक ग़ज़ब काम हुआ। देश की अपनी यानि ‘स्वदेशी’ तेज़ रफ़्तार ट्रेन ‘वन्देभारत’ पटरियों पर उतर कर दिल्ली से बनारस की यात्रा के लिए तैयार हो गई। ग़ौरतलब ये कि गति इसकी भी अधिकतम 180 किलोमीटर प्रतिघंटा। 

सिर्फ़ गति नहीं, ‘वन्देभारत’ अन्य कई विश्वस्तरीय सुविधाओं के मामले में भी उस ‘टैल्गो’ को बराबरी की टक्कर देती है, जिसकी सुर्ख़ियाँ 2018 के बाद ज़्यादा बनी नहीं। बल्कि अब तो देश में सिर्फ़ ‘वन्देभारत’ ही सुर्ख़ियों में रहती है। अभी एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन की पूर्वसंध्या पर छह नई वन्देभारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई है। इनके साथ देश में दौड़ने वाली वन्देभारत ट्रेनों की संख्या 60 हो गई। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने अहमदाबाद से भुज के बीच चलने वाली एक तेज़ रफ़्तार मेट्रो ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाई। इस ट्रेन को पहले ‘वन्देमेट्रो’ नाम दिया गया था। लेकिन 17 सितम्बर को प्रधानमंत्री के जन्मदिन के मौक़े पर इसका नाम बदलकर ‘नमोभारत रैपिड रेल’ कर दिया गया। ‘नमो’ मतलब नरेन्द्र का ‘न’ और मोदी का ‘मो’। या फिर ‘नमो’ मतलब प्रणाम।

सो, स्पेन की ट्रेन के हिन्दुस्तान में ‘ग़ुम’ हो जाने की कहानी को भी यहीं विराम। अब यहाँ से आगे जिसका मन करे, वह कड़ियाँ जोड़ता रहे। ‘ग़ुम’ हुई ट्रेन को ढूँढता रहे। इस सवाल का ज़वाब भी तलाशने की क़ोशिश करना चाहे, तो कर ले कि कहीं ‘टैल्गो’ ने हिन्दुस्तान में अपनी सूरत तो नहीं बदल ली है? और इसका ज़वाब या टैल्गो ट्रेन में से कभी कहीं कुछ मिल जाए, तो देश की आम जनता को भी बता दे। कई लोगों की जिज्ञासा शान्त हो जाएगी।   

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