निकेश जैन, इंदौर मध्य प्रदेश
भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग = अमेरिका की सड़कें + भारतीय खाना।
जी हाँ, भारत और अमेरिका के राजमार्गों में अगर आज के लिहाज से कोई अन्तर है तो सिर्फ़ भारतीय खाने का। आपका सवाल हो सकता है कि सड़कों का खाने से क्या लेना-देना?
तो लेना-देना है। दरअस्ल, जब कोई सड़क के रास्ते लम्बी दूरी की यात्रा पर निकलता है तो सबसे पहला सवाल यह होता है कि सड़कों की हालत कैसी होगी? इस प्रश्न का जवाब ये है कि भारत के राजमार्ग गुणवत्ता के मामले में अमेरिकी सड़कों से कहीं कम नहीं ठहरते। बल्कि कहीं-कहीं तो बेहतर ही हैं।
इसके बाद लम्बी दूरी की यात्रा पर निकलने वाले के दिमाग़ में दूसरा सवाल होता है कि रास्ते में खाने-पीने, चाय-नाश्ते आदि का इंतिज़ाम मिलेगा या नहीं?
मैं अमेरिका में रहा हूँ। इस दौरान सालों-साल अमेरिकी सड़कों पर सफर किया है। सफर के दौरान अक़्सर जब मुझे कुछ खाने-पीने की इच्छा होती, तो वहाँ ज़्यादा से ज़्यादा वेज़िटेबल बर्गर मिल पाता था। या कहीं-कभी पिज़्ज़ा। इसके अलावा कुछ नहीं मिलता था।
लेकिन अभी जब मैं भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों पर लम्बी दूरी की यात्रा पर निकलता हूँ तो जगह-जगह पंजाबी ढाबा, राजस्थानी ढाबा, दक्षिण भारतीय व्यंजनों के स्थल, आदि मिलते हैं। और मैं अपनी पसन्दीदा मसाला चाय तो कहीं भी रुककर पी सकता हूँ।
अभी पिछले हफ़्ते की ही बात है। मैंने दो दिन में लगभग 1,400 किलोमीटर का सफर (बेंगलुरू से इन्दौर) सड़क से किया। इस दौरान पाँच राष्ट्रीय राजमार्गों से गुज़रा।
इन राजमार्गों की गुणवत्ता इतनी अच्छी थी कि उन पर कार चलाना मेरे लिए सुखद आश्चर्य से कम नहीं था। इतना ही नहीं, बीच-बीच में जब भी कहीं मुझे चाय-नाश्ते या खाने-पीने इच्छा हुई, तो मेरे पास विकल्पों की भरमार थी। इससे मेरी यात्रा और आनन्ददायक हो गई।
इस सफर के दौरान कर्नाटक के राष्ट्रीय राजमार्ग-48 पर चलते हुए मुझे दावणगेरे के विशुद्ध दक्षिण भारतीय डोसे कभी नहीं भूल सकते। और महाराष्ट्र का ‘कांदा पोहा’, उसके भी क्या कहने। आप कभी इन जगहों से गुज़रें तो ज़रूर एक बार रुककर ज़ायका ले सकते हैं।
और जैसा मैंने पहले भी कहा कि मसाला चाय? उसके लिए तो आपको कहीं ज़्यादा इंतिज़ार करने की भी ज़रूरत नहीं। किसी भी टोल प्लाज़ा के आस-पास नज़र दौड़ाइए। सड़क के किनारे कहीं न कहीं मसाला चाय का बन्दोबस्त नज़र आ ही जाएगा।
लम्बी सड़क यात्रा के दौरान किसी को और क्या चाहिए?
वैसे, अमेरिका अगर चाहे तो वह भी अपने राजमार्गों पर ऐसी खान-पान की सुविधाओं को प्रोत्साहित कर सकता है। अब तो उसी सूरत में वह भारतीय सड़कों की बराबरी कर सकेगा!
क्या कहते हैं?
—
निकेश का मूल लेख
What’s the difference between Indian Highways and American Highways?
Indian Highways = American Highways + Indian Food
Yes, only difference is the food now. You might say what highway has to do with food?
When you are driving long distance the first thing which matters is the quality of road. Indian highways are of same quality as US highways and in cases even better.
Then on a long distance drive next thing you need is good food and tea 🙂
I have driven on US highways (freeways) for many years and only thing I could eat during my drive was vegetable burger at Burger King, or may be a Pizza.
But when I drive on Indian highways I get Punjabi Dhaba, Rajasthani Dhaba, Authentic south Indian food and the best part – my favorite masala tea 😉
Last week I drove 1400 Kms in two days and crossed at least 5 different national highways.
It was a bliss to drive on those highways because the road quality was awesome. Then when I needed to stop for food or tea, I had access to all kinds of food and that makes your journey even more joyful!
If you are driving through Karnataka on NH 48 you can try authentic Dosa at Davangere. If you are driving through Maharashtra you can stop for “Kanda Poha” for your breakfast.
You cross a toll plaza anywhere and you have your Masala Chai stops on the left side of the road!
What else you can ask for?
So, American Higways need some work to match Indian Highways:-)
——–
(निकेश जैन, शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी- एड्यूरिगो टेक्नोलॉजी के सह-संस्थापक हैं। उनकी अनुमति से उनका यह लेख #अपनीडिजिटलडायरी पर लिया गया है। मूल रूप से अंग्रेजी में उन्होंने यह लेख लिंक्डइन पर लिखा है।)
——
निकेश के पिछले 10 लेख
14 – छोटे कारोबारी कैसे स्थापित कारोबारियों को टक्कर दे रहे हैं, पढ़िए अस्ल कहानी!
13 – सिंगापुर वरिष्ठ कर्मचारियों को पढ़ने के लिए फिर यूनिवर्सिटी भेज रहा है और हम?
12 – जल संकट का हल छठवीं कक्षा की किताब में, कम से कम उसे ही पढ़ लें!
11- ड्रोन दीदी : भारत में ‘ड्रोन क्रान्ति’ की अगली असली वाहक!
10 – बेंगलुरू में साल के छह महीने पानी बरसता है, फिर भी जल संकट क्यों?
9- अंग्रेजी से हमारा मोह : हम अब भी ग़ुलाम मानसिकता से बाहर नहीं आए हैं!
8- भारत 2047 में अमेरिका से कहेगा- सुनो दोस्त, अब हम बराबर! पर कैसे? ज़वाब इधर…
7 – जब हमारे माता-पिता को हमारी ज़रूरत हो, हमें उनके साथ होना चाहिए…
6- सरकार रोकने का बन्दोबस्त कर रही है, मगर पढ़ने को विदेश जाने वाले बच्चे रुकेंगे क्या?
5. स्वास्थ्य सेवाओं के मामले हमारा देश सच में, अमेरिका से बेहतर ही है
अभी इसी शुक्रवार, 13 दिसम्बर की बात है। केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी लोकसभा… Read More
देश में दो दिन के भीतर दो अनोख़े घटनाक्रम हुए। ऐसे, जो देशभर में पहले… Read More
सनातन धर्म के नाम पर आजकल अनगनित मनमुखी विचार प्रचलित और प्रचारित हो रहे हैं।… Read More
मध्य प्रदेश के इन्दौर शहर को इन दिनों भिखारीमुक्त करने के लिए अभियान चलाया जा… Read More
इस शीर्षक के दो हिस्सों को एक-दूसरे का पूरक समझिए। इन दोनों हिस्सों के 10-11… Read More
आकाश रक्तिम हो रहा था। स्तब्ध ग्रामीणों पर किसी दु:स्वप्न की तरह छाया हुआ था।… Read More