ख्यात अभिनेत्री और नृत्यांगना अर्चना जोगलेकर
टीम डायरी
यूँ होता है, जब आप अपनी विधा में महारत हासिल कर लेते हैं। इस ढाई मिनट के वीडियो में न कोई न सुर है, न ताल। बस, एक कविता पढ़ी जा रही है। लेकिन…
लेकिन अगर आप गौर करेंगे, इस कविता में लय भी पाएँगे, ताल भी और सुर भी। दूसरे शब्दों में कहें तो पूरा संगीत अमूर्त रूप से कानों में गूँजता सुनाई देगा। आँखों के सामने तैरता भी दिख जाए, तो कोई बहुत अचरज की बात नहीं।
पूरी कविता के छन्द पाँच मात्राओं में निबद्ध हैं। और आख़िर तक पहुँचते-पहुँचते इस काव्य पाठ की ख़ूबसूरती को जानी-मानी शास्त्रीय नृत्यांगना और अभिनेत्री विदुषी अर्चना जोगलेकर यूँ खोलकर छिटका देती हैं कि सुनने वाला ‘वाह-वाह’ किए बिना न रहे।
मगर फिर ख़्याल कीजिएगा, बरसों की साधना, तपस्या से यह महारत, ये ‘वाह-वाह’ हासिल हो पाती है।
—–
(नोट : इस वीडियो को #अपनीडिजिटलडायरी के पन्नों का जगह देने का मक़सद किसी कॉपीराइट का उल्लंघन करना नहीं है। बल्कि संगीत, साहित्य, संस्कृति, परम्परा से जुड़े डायरी के सरोकारों, उनके प्रचार-प्रसार में सहयोग देने के मकसद से इसे यहाँ जगह दी गई है। ताकि डायरी के पाठक भी इससे लाभान्वित हों, प्रेरणा ले सकें।)
विश्व-व्यवस्था एक अमूर्त संकल्पना है और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले घटनाक्रम ठोस जमीनी वास्तविकता… Read More
अपनी जड़ों से कटा समाज असंगत और अविकसित होता है। भारतीय समाज इसी तरह का… Read More
अभी गुरुवार, 6 मार्च को जाने-माने अभिनेता पंकज कपूर भोपाल आए। यहाँ शुक्रवार, 7 मार्च… Read More
कला, साहित्य, संगीत, आदि के क्षेत्र में सक्रिय लोगों को समाज में सम्मान की निग़ाह… Read More
“घने जंगलों में निगरानी के लिहाज़ से ‘पैदल’ गश्त सबसे अच्छी होती है। इसलिए मध्य… Read More