नीलेश द्विवेदी, भोपाल, मध्य प्रदेश से
शिव हैं, तो सत्य है। शिव हैं, तो साहित्य है। शिव हैं, तो गीत है। शिव हैं, तो संगीत है। शिव हैं, साधना है। शिव हैं, तो आराधना है। शिव हैं, तो काया है। शिव हैं, तो माया है। शिव हैं, तो पुरुष है। शिव हैं, तो प्रकृति है। शिव हैं, तो दृष्टि हैं। शिव हैं, तो सृष्टि है। शिव हैं, तो कल्याण है। शिव हैं, तो समझिए संकट नहीं ही है।
बाँसुरी के सुरों पर इसी भावना के साथ….. महाशिवरात्रि की अनन्त शुभकामनाएँ
जो धुन है, उसके बोल नीचे दिए गए हैं। सुनिएगा और पढ़िएगा। दोनों में आनंद है। क्योंकि शिव हैं, तब ही आनंद भी है…
शिव कैलाशों के वासी
धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हरना
शिव कैलाशों के वासी
शंकर संकट हरना
तेरे कैलाशों का अंत ना पाया,
अंत बेअंत तेरी माया,
ओ भोले बाबा
अंत बेअंत तेरी माया
शिव कैलाशों के वासी
धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हरना
शंकर संकट हरना
बेल की पत्ती भांग और धतूरा
बेल की पत्ती भांग और धतूरा
शिवजी के मन को लुभाए
ओ भोले बाबा
शिवजी के मन को लुभाए
शिव कैलाशों के वासी
धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हरना
शंकर संकट हरना
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