आजादी के आंदोलन में 1857 की क्रांति से ज्यादा निर्णायक घटना कौन सी थी?

माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 10/10/2021

दिसंबर 1916 में इंग्लैंड में रुढ़िवादियों की सरकार बनी। लेकिन प्रधानमंत्री लॉयड जॉर्ज उदारवादी थे। उन्होंने अगले साल जुलाई में एडविन मॉन्टेग्यू को गृह मंत्रालय में भारत से जुड़े मामले देखने के लिए, खास तौर पर तैनात किया। वे भी उदारवादी थे। उन्होंने 20 अगस्त 1917 को संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमंस’ में घोषणा की, “भारत के संबंध में हमारी सरकार की नीति ये है कि शासन-प्रशासन की सभी शाखाओं में भारतीयों को ज्यादा से ज्यादा सहभागी बनाया जाए। भारत की स्वशासी संस्थाओं का विकास किया जाए। भारत की उत्तरदायी सरकार ब्रिटिश साम्राज्य अविभाज्य हिस्सा है। लिहाज़ा इस दिशा में जो कदम ज़रूरी हैं, उन्हें जल्द से जल्द उठाने का फैसला किया गया है।” उन्होंने यह भी ऐलान किया कि वे जल्द हिंदुस्तान जाकर वहाँ के अधिकारियों, प्रतिनिधियों आदि से चर्चा करना चाहते हैं। अक्टूबर-1917 में मॉन्टेग्यू भारत आए। यहाँ रायशुमारी के बाद उनकी रिपोर्ट 1918 में प्रकाशित की गई। इसमें पहली बार अंग्रेजों ने भरोसा जताया था कि भारतीय अपनी सरकार ज़िम्मेदारी के साथ चला सकते हैं। यह भी कि भारत में संसदीय प्रणाली की सरकार कारगर हो सकती है। एडविन मॉन्टेग्यू की रिपोर्ट के आधार पर 1919 में भारत सरकार अधिनियम (मॉन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार) ब्रिटिश संसद से पारित किया गया। लेकिन इसमें सुझाए गए सुधार ठीक से लागू नहीं हो सके।

इस बीच भारत में कई घटनाएँ हो गईं। जैसे- सरकार ने क्रांतिकारी गतिविधियों की जाँच के लिए जस्टिस रॉलेट की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी। उसने मॉन्टेग्यू रिपोर्ट के कुछ समय बाद ही अपनी रपट दी। इन रिपोर्टों ने एक हाथ से देने और दूसरे से तमाचा मारने जैसे हालात बना दिए। मतलब इंग्लैंड में बैठी सरकार भारतीयों को उनके लोकतांत्रिक अधिकार देती दिख रही थी। वहीं दिल्ली में बैठी अंग्रेज सरकार पुलिस स्टेट की तरह सत्ता संचालित कर रही थे। फिर राजद्रोह अधिनियम ने स्थिति और ख़राब कर दी। इससे भारतीयों पर नया दमन चक्र शुरू हो चुका था। 

इसी बीच 1919 में पंजाब में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क गए। शुरुआत 10 अप्रैल से हुई थी। उस दिन अमृतसर में दो राष्ट्रवादी नेताओं को गिरफ़्तार कर जिला बदर कर दिया गया था। इससे लोग भड़क गए। उन्होंने यूरोपीय छावनी में घुसने की कोशिश की। वहाँ से उन्हें खदेड़ा गया तो उन्होंने वापस लौटकर शहर में फ़साद शुरू कर दिए। इसके बाद जनरल डायर के नेतृत्व में सेना ने कमान अपने हाथ में ले ली। जनसभाओं, धरना-प्रदर्शनों, बैठकों आदि पर पाबंदी लगा दी गई। इसके बावज़ूद 13 अप्रैल को शहर के जलियाँवाला बाग में बड़ी जनसभा हुई। इसकी ख़बर जब जनरल डायर को लगी तो वह 90 गोरखा और बलूच सैनिकों को लेकर मौके पर पहुँच गया। साथ में दो बख़्तरबंद गाड़ियाँ भी थीं। इन्हें उसने बाग के इक़लौते दरवाज़े के सामने खड़ा कर दिया, ताकि कोई बाहर जा सके। इसके बाद उसने अपने सैनिकों को सभा में जुटे निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलाने का आदेश दे दिया। ख़ुद डायर के मुताबिक उस दिन 1,605 राउंड कारतूस चलाए गए। इससे बड़ी संख्या में लोग मारे गए। सरकारी आँकड़े के अनुसार 379 लोगों की इस घटना में मौत हुई और 1,200 लोग घायल हुए। हालाँकि असल आँकड़ा इससे ज्यादा था। डायर की इस कार्रवाई का प्रांतीय सरकार ने भी समर्थन किया। अगले दिन शहर के दूसरे स्थानों पर दंगा भड़क उठा। सुरक्षा बलों ने भी प्रदर्शनकारियों पर बमबारी और गोलीबारी की। इसके बाद पंजाब में मार्शल लॉ लगा दिया गया। यह नौ जून तक लागू रहा। इस दौरान भारतीयों पर तमाम अत्याचार किए गए। कुछ जगहों पर महिला ईसाई मिशनरियों पर हमला किया गया था। वहाँ भारतीयों को पेट के बल रेंगने को मज़बूर किया गया। सार्वजनिक रूप से लाइन में खड़ा कर उन्हें कोड़े मारे गए। 

इस उपद्रव की जाँच के लिए गठित हंटर आयोग के मुताबिक, “कर्फ्यू का उल्लंघन करने, अफसरों को सलाम न करने, यूरोपीय लोगों का अनादर करने, दूध आदि बेचने से मना करने जैसी चीजों को भी अपराध घोषित कर दिया गया था। इन अपराधों के लिए सख़्त सजा दी गईं।” हंटर आयोग अक्टूबर 1919 में गठित हुआ। इसमें चार अंग्रेज और चार भारतीय सदस्य थे। अंग्रेज सदस्यों में तीन लोकसेवक थे। जबकि भारतीय सदस्य उदारपंथी विचारधारा वाले थे। इन सभी ने जनरल डायर की कार्रवाई की आलोचना की, लेकिन नरमी से। उसे बस ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ और ‘अन्यायपूर्ण’ ही बताया। 

आयोग के सामने जनरल डायर की भी गवाही हुई थी। इसमें उसने माना, “मैंने गोलियाँ चलवाईं और तब तक चलवाता रहा, जब तक कि भीड़ पूरी तरह तितर-बितर नहीं हो गई।… अगर मेरे पास जवानों की संख्या ज्यादा होती, तो इस कार्रवाई में मारे जाने वाले लोगों की तादाद और भी अधिक हो सकती थी। यह कार्रवाई लोगों को तितर-बितर करने के मक़सद तक सीमित नहीं थी बल्कि इसके जरिए मैं एक मिसाल सामने रखना चाहता था। सिर्फ़ उन लोगों के लिए नहीं, जो उस दिन जलियाँवाला बाग में मौज़ूद थे, बल्कि समूचे पंजाब और शेष भारत के लिए भी।”

यद्यपि भारत सरकार ने इस कार्रवाई से ख़ुद को अलग कर लिया था मगर डायर ने जो कहा, उससे सैन्य और लोक प्रशासन के बहुसंख्य अंग्रेज अफसरों की सोच स्पष्ट हो गई थी। इस कार्रवाई की वज़ह से डायर को उसके पद से हटा दिया गया। इसके बावज़ूद उसे और उसके मक़सद को समर्थन देने वालों की कमी नहीं थी। ब्रिटिश अख़बारों, वहाँ के संसद सदस्यों और भारत में ब्रिटिश समुदाय के बड़े वर्ग ने डायर का खुला समर्थन किया। यही नहीं, भारत के ब्रिटिश समुदाय ने उसे ‘बहादुरी पुरस्कार’ देने के लिए सम्मान राशि के तौर पर 26,000 पाउंड की रकम भी जुटाकर उसे दी। 

वहीं, भारतीयों के दिमाग में जलियाँवाला बाग हत्याकांड हमेशा के लिए एक दुखद स्मृति की तरह अंकित हो गया। अंग्रेजों और भारतीयों के संबंधों के लिहाज़ से यह घटना 1857 की क्रांति से भी ज्यादा निर्णायक साबित हुई। इसके बाद से अंग्रेजों पर भारतीयों का भरोसा पूरी तरह उठ गया। उन्होंने ‘स्वराज’ की जगह ‘स्वाधीनता’ की माँग शुरू कर दी। लक्ष्य अब देश को पूरी आजादी दिलाना हो गया।
(जारी…..)
अनुवाद : नीलेश द्विवेदी 
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(‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
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पिछली कड़ियाँ : 
50. चुनाव में मुस्लिमों को अलग प्रतिनिधित्व देने के पीछे अंग्रेजों का छिपा मक़सद क्या था?
49. भारत में सांकेतिक चुनाव प्रणाली की शुरुआत कब से हुई?
48. भारत ब्रिटिश हुक़ूमत की महराब में कीमती रत्न जैसा है, ये कौन मानता था?
47. ब्रिटेन के किस प्रधानमंत्री को ‘ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने वाला’ माना गया?
46. भारत की केंद्रीय विधायी परिषद में सबसे पहले कौन से तीन भारतीय नियुक्त हुए?
45. कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल का डिज़ाइन किसने बनाया था?
44. भारतीय स्मारकों के संरक्षण को गति देने वाले वायसराय कौन थे?
43. क्या अंग्रेज भारत को तीन हिस्सों में बाँटना चाहते थे?
42. ब्रिटिश भारत में कांग्रेस की सरकारें पहली बार कितने प्रान्तों में बनीं?
41.भारत में धर्म आधारित प्रतिनिधित्व की शुरुआत कब से हुई?
40. भारत में 1857 की क्रान्ति सफल क्यों नहीं रही?
39. भारत का पहला राजनीतिक संगठन कब और किसने बनाया?
38. भारत में पहली बार प्रेस पर प्रतिबंध कब लगा?
37. अंग्रेजों की पसंद की चित्रकारी, कलाकारी का सिलसिला पहली बार कहाँ से शुरू हुआ?
36. राजा राममोहन रॉय के संगठन का शुरुआती नाम क्या था?
35. भारतीय शिक्षा पद्धति के बारे में मैकॉले क्या सोचते थे?
34. पटना में अंग्रेजों के किस दफ़्तर को ‘शैतानों का गिनती-घर’ कहा जाता था?
33. अंग्रेजों ने पहले धनी, कारोबारी वर्ग को अंग्रेजी शिक्षा देने का विकल्प क्यों चुना?
32. ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में भारत में शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
31. मानव अंग-विच्छेद की प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पहले हिन्दु चिकित्सक कौन थे?
30. भारत के ठग अपने काम काे सही ठहराने के लिए कौन सा धार्मिक किस्सा सुनाते थे?
29. भारत से सती प्रथा ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने क्या प्रक्रिया अपनाई?
28. भारत में बच्चियों को मारने या महिलाओं को सती बनाने के तरीके कैसे थे?
27. अंग्रेज भारत में दास प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ रोक क्यों नहीं सके?
26. ब्रिटिश काल में भारतीय कारोबारियों का पहला संगठन कब बना?
25. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय उद्योग धंधों को किस तरह प्रभावित किया?
24. अंग्रेजों ने ज़मीन और खेती से जुड़े जो नवाचार किए, उसके नुकसान क्या हुए?
23. ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ किस तरह ‘स्थायी बन्दोबस्त’ से अलग थी?
22. स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था क्यों लागू की गई थी?
21: अंग्रेजों की विधि-संहिता में ‘फौज़दारी कानून’ किस धर्म से प्रेरित था?
20. अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया? 
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?

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