निकेश जैन, इंदौर मध्य प्रदेश
आज ‘विश्व जल दिवस’ (#WorldWaterDay) है। इस मौके पर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले तमाम विशेषज्ञों ने अखबारों में बड़े-बड़े लेख लिखे हैं। इनमें चिन्ताएँ जताई गई हैं कि इस वक़्त जिस तरह बेंगलुरू शहर जल संकट (#BengaluruWaterCrisis) का सामना कर रहा है, वैसा ही देश के कम से कम पाँच-छह शहरों में और होने वाला है। इनमें मुम्बई, दिल्ली, चेन्नई, जयपुर, बठिंडा, लखनऊ जैसे शहरों के नाम गिनाए गए हैं।
इन लेखों में जल-संकट का सबसे बड़ा कारण अनियोजित शहरीकरण बताया गया है, जिसकी निजी-सरकारी योजनाओं में प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण की कोई योजना ही नहीं होती। यहाँ तक कि अंधाधुंध शहरीकरण के कारण भविष्य में पानी की बढ़ी हुई ज़रूरत कैसे पूरी होगी, यह भी इन योजनाओं में विचार के लिए प्रमुख बिन्दु नहीं होता। ऐसा और भी बहुत कुछ बताते हुए विशेषज्ञों ने अपनी ओर से संकट के समाधान के लिए सुझाए भी दिए हैं।
हालाँकि इस सब के बीच पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर और #अपनीडिजिटलडायरी पर लगातार उपस्थिति दर्ज़ करा रहे निकेश जैन ने अपने निजी अनुभव से अनोखा रास्ता सुझाया है। उन्हीं के शब्दों में….
…एनविडिया की नई जीपीयू चिप – ब्लैकवेल (‘एनविडिया’ कम्प्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के क्षेत्र में काम करने वाली अमेरिकी कम्पनी है। ब्लैकवेल इसका नया प्लेटफॉर्म है।) के पास बेंगलुरू जल-संकट का हल नहीं है। लेकिन छठवीं कक्षा की पुस्तक में है। भरोसा नहीं होता? इस सच्ची कहानी को पढ़िए..
कल ही मैं इन्दौर में अपनी नानी के घर गया हुआ था। वहाँ मामाजी ने कहा – बेंगलुरू (मैं वहीं रहता हूँ) में तो इस समय पानी की बड़ी दिक़्कत है! मैंने कहा- हाँ और फिर उनसे इन्दौर के हालात के बारे में पूछा।
उन्होंने बताया – अब से क़रीब 10 साल पहले हम भी पानी के संकट से ऐसे ही जूझ रहे थे। लेकिन फिर हमने वर्षा जल संचय की तकनीक अपनाई। तब से अब कोई समस्या नहीं है। हमारे बोरवेल में पूरी गर्मियों के दौरान भी पर्याप्त पानी रहता है। यहाँ ग़ौर कीजिए कि इन्दौर में मई-जून में तापमान 42 डिग्री तक पहुँच जाता है।
अब आगे देखिए, मज़े की बात। मेरे मामा कोई इंजीनियर नहीं हैं। उन्होंने कॉमर्स से स्नातक की डिग्री ली है। और तस्वीर में जो वर्षा जल संचय की तकनीक दिखाई गई है, उसे उन्होंने अपने स्तर पर अमली जामा पहनाया है।
दरअस्ल, जिस समय के जल-संकट की मेरे मामा बात कर रहे थे, उस वक़्त उनकी बेटी यानि मेरी ममेरी बहन छठवीं कक्षा में पढ़ती थी। उसकी एक किताब में वर्षा जल संचय की तकनीक का पूरा विवरण था। मेरे मामाजी ने उसे पढ़ा और जैसा-जैसा पुस्तक में बताया था, ठीक वैसा ही ‘वर्षा जल संचय ढाँचा’ घर में बनवा दिया।
उनका घर 60×40 के प्लॉट पर बना हुआ एक मंज़िला मकान है। उन्होंने मज़दूरों को बुलवाकर इसमें अपनी ही देख-रेख में बोरवेल के चारों तरफ़ एक बड़ा सा गड्ढा बनवाया। उसमें पत्थर, रेत आदि की परतें बिछवाईं और घर की छत वग़ैरा में इकट्ठा होने वाले पूरे पानी का रुख़ इस गड्ढे की तरफ़ मोड़ दिया। हो गया समाधान!
आज 10 साल हो गए, उनका बोरवेल कभी सूखा नहीं।
अब ये कोई रॉकेट साइंस है या कॉमन सेंस? आप ही तय कर लीजिए।
बेंगलुरू (और उन शहरों के लोगों को भी, जहाँ पानी का संकट है) को अपनी प्राथमिकताएँ दुरुस्त करने की ज़रूरत है। दूसरे शब्दों में कहें तो उन्हें एनविडिया के ब्लैकवेल से ज्यादा अपने बोरवेल के लिए कॉमनसेंस की ज़रूरत है।
बुनियादी चीज़ों की तरफ लौटने की आवश्यकता है। नहीं क्या?
#WorldWaterDay #BengaluruWaterCrisis
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निकेश का मूल लेख :
Nvidia’s new GPU chip – Blackwell can’t solve Bangalore’s water crisis BUT a sixth standard text book can…….. 🤓 Don’t believe me? Read this real story..
Yesterday I was at my grandmother’s house in Indore. My uncle (Mama) said – Bangalore is going through a lot of water issue!
I said, yes and asked him what’s the situation in Indore?
His response – we were facing a lot of water issue in our area 10 years ago but then we implemented water harvesting and since then no issue. Our borewell gives enough water throughout the summer. (Indore temperature goes to 42 degree in May/June)
Now the fun part – my uncle is NOT an engineer. He is a commerce graduate and this water harvesting design was his own!
His daughter (my cousin) was in sixth standard that time and one of her text books had a chapter on water harvesting. He read that, got some workers and just followed the design given in the book!! 😎
His house is a single story built on 60×40 plot. He dug up a huge pit around the borewell area, filled it with multiple layers of all the materials suggested in the book (stones, sand etc.) and directed all the water on the terrace to this pit.
It has been 10 years and that borewell never went dry!!
Rocket science or common sense? You decide…..
Bagalore needs to set its priorities right because it doesn’t need Nvidia’s Blackwell or GenAi based solutions but all it needs is some common sense!!
Perhaps time to go back to basics? 🤔
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(निकेश जैन, शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी- एड्यूरिगो टेक्नोलॉजी के सह-संस्थापक हैं। उनकी अनुमति से उनका यह लेख #अपनीडिजिटलडायरी पर लिया गया है। मूल रूप से अंग्रेजी में उन्होंने यह लेख लिंक्डइन पर लिखा है।)
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निकेश के पिछले 10 लेख
11- ड्रोन दीदी : भारत में ‘ड्रोन क्रान्ति’ की अगली असली वाहक!
10 – बेंगलुरू में साल के छह महीने पानी बरसता है, फिर भी जल संकट क्यों?
9- अंग्रेजी से हमारा मोह : हम अब भी ग़ुलाम मानसिकता से बाहर नहीं आए हैं!
8- भारत 2047 में अमेरिका से कहेगा- सुनो दोस्त, अब हम बराबर! पर कैसे? ज़वाब इधर…
7 – जब हमारे माता-पिता को हमारी ज़रूरत हो, हमें उनके साथ होना चाहिए…
6- सरकार रोकने का बन्दोबस्त कर रही है, मगर पढ़ने को विदेश जाने वाले बच्चे रुकेंगे क्या?
5. स्वास्थ्य सेवाओं के मामले हमारा देश सच में, अमेरिका से बेहतर ही है
4. शिक्षा, आगे चलकर मेरे जीवन में किस तरह काम आने वाली है?
3. निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोग बड़ी संख्या में नौकरियाँ क्यों छोड़ रहे हैं?
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