फ़र्क पड़ना चाहिए जनाब, जानवरों को भी फ़र्क पड़ता है!

टीम डायरी, 11/7/2022

छोटा सा वीडियो है। सिर्फ 35 सेकेंड का। लेकिन यह पूरी एक कहानी कहता है। ज़िन्दगी को देखने का नज़रिया पेश करता है। यूँ कि अक्सर बहुतायत लोग इस सोच के मालिक होते हैं कि आस-पास के गुज़रते हालात से हमें क्या मतलब?

मुमकिन है, उनकी इस सोच के पीछे उनकी अपनी कोई दलील हो। ऐसी, जो उन्हें भरोसा देती हो, उनकी सोच सही है। लेकिन अक्सर कई मौकों पर ये सोच सही होती नहीं। इसलिए उसमें मौके और ज़रूरत के हिसाब से थोड़ी तब्दीली, थोड़ा लचीलापन ज़रूरी है।

अगर वह तब्दीली या लचीलापन न दिखा पाए तो यक़ीन रखिए ऐसा न कर पाने वालों की हालत इस जानवर से भी गई-गुज़री बैठेगी। क्योंकि इस जानवर ने तो अपने ‘सरोकार’ की मिसाल पेश कर ही दी है। चाहें तो नीचे दिया वीडियाे देखकर पुख़्तगी कर लीजिए। #अपनीडिजिटलडायरी ने इसी वज़ह से इसे पन्नों पर जगह भी दी है। 

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Neelesh Dwivedi

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