ध्याान रखिए, करियर और बच्चों के भविष्य का विकल्प है, माता-पिता का नहीं!

निकेश जैन, इन्दौर मध्य प्रदेश

अपने करियर के साथ-साथ माता-पिता के प्रति ज़िम्मेदारियों को निभाना मुश्क़िल काम है, है न? यह सवाल मेरे ज़ेहन में अभी रविवार को ख़ास तौर पर आया, जब मैं अपने माता-पिता को फिल्म दिखाने ले गया। फिल्म का नाम है, ‘वनवास’। उसमें ऐसे पिता की कहानी है, जिन्हें उनके बच्चे ही बुढ़ापे में बेसहारा छोड़ देते हैं। इस फिल्म को देखते हुए मेरे दिमाग़ में कुछ और सवाल भी आए कि क्या यह विषय आज के दौर में प्रासंगिक है? क्या वास्तविक जीवन में भी यह सब होता है? तो ज़वाब है, ‘हाँ’, होता है।

वर्तमान में माता-पिता और बच्चों के अन्तर्सम्बन्धों के कई स्वरूप समाज में मौज़ूद हैं। उनमें एक बहुत आम स्वरूप यह है कि पेशेवर करियर बनाने के लिए बच्चे दूर चले जाते हैं। कभी-कभी तो बहुत दूर। इस प्रक्रिया में उन्हें 10-15 साल तो अपना करियर बनाने में लग जाते हैं। फिर उनके बच्चे हो जाते हैं। तो उनका स्कूल, उनकी पढ़ाई, उनके भविष्य की चिन्ता रास्ते में आ जाती है। इस कारण जो जहाँ हे, वहीं रहने को मज़बूर हो जाता है। भले अमेरिका या अन्य देश हो या फिर देश का बेंगलुरू जैसा कोई महानगर।

इन स्थितियों में बुज़ुर्ग होते माता-पिता के साथ रहना बच्चों के लिए बहुत कठिन हो जाता है। ऐसे में, अक़्सर होता यही है कि बच्चे किसी महानगर या दूसरे देश में रह रहे होते हैं और उनके बुज़ुर्ग माता-पिता अपने गृहनगर में अकेले जीवन बिता रहे होते हैं। कभी-कभी सन्तानें माता-पिता के लिए करियर दाँव पर लगाने को तैयार हो जाती हैं, मगर अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए वे ऐसा कर नहीं पाते।

इससे करियर, बच्चों के भविष्य और माता-पिता की देखभाल की ज़िम्मेदारियों के बीच सन्तुलन बनाना कठिन हो जाता है। तब, जैसा मैंने बेंगलुरू और अन्य ऐसे ही शहरों में देखा है, कई बच्चे बुज़ुर्ग माता-पिता को अपने साथ ले आते हैं। मैं अपने कई परिचितों को जानता हूँ, जिन्होंने ऐसा किया है। यह समस्या का एक अच्छा समाधान है। लेकिन सभी के लिए नहीं। तो उन लोगों में कई यह करते हैं कि वे माता-पिता के पास उनकी कुशल क्षेम से जुड़ी अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिए नियमित अन्तराल से उनके पास जाते हैं।  

लेकिन क्या ये स्थायी समाधान हैं? इस बाबत मेरा ख़्याल है कि समाधान का तरीक़ा सबका अपना-अपना होता है। होना भी चाहिए। लेकिन एक बात मैं पक्के तौर पर मानता हूँ कि बच्चों को अपनी ज़िम्मेदारियों से मुँह नहीं मोड़ना चाहिए। किसी सूरत में नहीं। हमारे करियर, हमारे बच्चों के भविष्य और उनके करियर के विकल्प हमें मिल सकते हैं, उपलब्ध हैं। लेकिन माता-पिता का कोई विकल्प नहीं हो सकता।

क्या विचार है? 

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निकेश का मूल लेख 

Balancing between career and responsibilities towards parents – a difficult act.

Watched Movie Vanvass with my parents this Sunday. This movie of course takes this topic to the other extreme where children abandon their old father!

Is this topic relevant? Does it happen in real life?

Yes, it does – perhaps it has multiple versions of it.

One common version is children staying away (in cases far away) from parents to make their professional career. In that process first 10 to 15 years of their time goes in building the career and then comes their own kids who start going to school etc. and get accustomed to the place (either US, or some other country or a Metro city in India).

Beyond this point re-uniting with parents becomes a daunting task because even if you are willing to scarifies your own career, kids future becomes more important.

In such cases, usually I have seen parents living alone in their respective native places and their kids working either in some foreign country or in a Metro city in India.

And there comes the art of balancing between responsibilities towards school going kids and aging parents!

Many of my friends (or acquaintances) in Bangalore have moved their parents to Bangalore and staying together – which is a wonderful solution.

For other few. frequent travel to parents is an act of balance.

I think everyone has their own balancing solution but one thing is for sure – as a child one must not shy away from this responsibility

Your career and your kids career have alternatives available but there is no alternative for parents!

Thoughts? 

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(निकेश जैन, शिक्षण-प्रशिक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी- एड्यूरिगो टेक्नोलॉजी के सह-संस्थापक हैं। उनकी अनुमति से उनका यह लेख अपेक्षित संशोधनों और भाषायी बदलावों के साथ #अपनीडिजिटलडायरी पर लिया गया है। मूल रूप से अंग्रेजी में उन्होंने इसे लिंक्डइन पर लिखा है।)

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