चुनाव में मुस्लिमों को अलग प्रतिनिधित्व देने के पीछे अंग्रेजों का छिपा मक़सद क्या था?

माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 9/10/2021

ब्रिटेन में 1906 में बनी उदारवादी सरकार मानती थी कि भारतीयों की माँगों का समाधान करना होगा। इसलिए उसने तय किया कि भारत में अप्रत्यक्ष शासन की व्यवस्था करनी चाहिए। तब ब्रिटेन में गृह मंत्री जॉन मॉरले थे। इधर भारत में लॉर्ड मिंटो (1905-1910) वायसराय बन चुके थे। मिंटो मानते थे कि सिर्फ़ भारतीय मध्यम वर्ग की भावनाओं/इच्छाओं का ख्याल रखते हुए बदलाव नहीं करने चाहिए। भारतीय राजा-महाराजाओं की परिषद भी गठित करनी चाहिए। ताकि कांग्रेस से अलग राय भी सरकार को मिले। उधर, मॉरले के दिमाग में यह बिलकुल नहीं था कि अभी भारत में ब्रिटेन की तरह संसदीय संस्थाएँ होनी चाहिए। लिहाज़ा, 1909 में जब नए (मॉरले-मिंटो) सुधार सामने आए तो वे तानाशाही और लोकशाही का मिला-जुला स्वरूप थे। उदार और अधिनायकवादी दोनों। 

बहरहाल, मॉरले-मिंटो सुधारों के जरिए विधायी परिषदों के विस्तार की पेशकश की गई। वायसराय की परिषद और प्रांतीय परिषदों के सदस्यों के निर्वाचन की अवधारणा भी स्वीकार की गई। हालाँकि आम जनता चुनाव में सीधे अभी भाग नहीं ले सकती थी। केंद्र की परिषद में भी सरकार की ओर से मनोनीत सदस्य बहुमत में थे। मग़र प्रांतीय परिषदों में गैर-आधिकारिक सदस्यों के बहुमत का रास्ता खुल गया।  इन सुधारों में अल्पसंख्यकों को अलग निर्वाचक-मंडल के रूप में स्वीकृति देने का प्रावधान चिंताजनक था। ख़ासकर इसके मद्देनज़र कि 1909 तक सिर्फ मुसलिमों को अल्पसंख्यक के रूप में मान्यता दी गई थी। इसे समाज में द्वेष पैदा करने की कोशिश माना गया। हालाँकि मॉरले ने इसे दोनों समुदायों के मूलभूत हितों के बीच संतुलन बनाने का प्रयास माना। छिपा उद्देश्य दोनों समाजों के उदारपंथियों को साथ लाने का भी था ताकि क्रांतिकारियों के विरुद्ध उन्हें अंकुश की तरह इस्तेमाल किया जा सके। 

अलबत्ता, इन सुधारों के जरिए भारत सरकार के लिए आवश्यक कर दिया गया कि वह भारतीयों को शासन-प्रशासन में साझीदार बनाए। उसने इसकी कोशिश भी की। लेकिन जब बंगाल-विभाजन के बाद हिंसा भड़की तो सरकार का रवैया दमनकारी हो गया। इस तरह उसके सुधारवादी और दमनकारी स्वरूप का घालमेल हो गया। यह घालमेल किसी को ठीक नहीं लगा। नतीज़तन 1911 में उदारवादी नेता जीके गोखले ने माँग कर दी कि ब्रिटिश सरकार साफ घोषित करे कि वह भारत में वास्तविक लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्थापना करना चाहती है या नहीं। 

वहीं, भारत सरकार ऐसी युक्तियाँ अपना रही थी, जिससे उसकी नीतियों का उदार विरोध पूरी तरह ठंडा हो सके। साथ ही वह क्रांतिकारी राष्ट्रवादियों का दमन भी करती रहे। इसके लिए उसने पहले तो तय किया बंगाल का विभाजन निरस्त किया जाना चाहिए। फिर ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी भी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने का फैसला किया। इस समय लॉर्ड हार्डिंग वायसराय थे। वे मानते थे कि बंगाल के पुन: एकीकरण से अतिवादी आंदोलन का स्रोत खत्म हो जाएगा। जबकि राजधानी को दिल्ली लाने से संदेश जाएगा कि अंग्रेज हिंदुस्तान में टिके रहने का इरादा रखते हैं। प्रतीकात्मक रूप से स्पष्ट हो जाएगा कि भारत सरकार प्रांतीय सरकारों से पूरी तरह अलग है। भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में बदलाव किए बिना प्रांतीय सरकारों को उनकी शक्तियाँ सौंपने का रास्ता भी साफ हो जाएगा। इन युक्तियों का कुछ असर दिखा। ख़ास तौर पर बाल गंगाधर तिलक जैसे उग्र-राष्ट्रवाद के अगुवा नेताओं पर भी। वे जब 1914 में जेल से रिहा हुए तो उन्होंने सुधारों की प्रशंसा की। साथ ही हिंसक गतिविधियों की निंदा भी की। हालाँकि क्रांतिकारी गतिविधियाँ अब भी जारी थीं। लेकिन मोटे तौर पर उदार और उग्र राष्ट्रवाद के समर्थक तमाम नेता हाथ मिला चुके थे। नए सुधारों को स्वीकार कर चुके थे। 

इसी बीच 1914 में यूरोप में युद्ध छिड़ गया। उसे एक अवसर मानते हुए हिंदुस्तान के राष्ट्रवादी नेता समर्थकों को यह समझाने में सफल रहे कि अंग्रेजों की मदद करना भविष्य के लिहाज से फायदेमंद है। युद्ध ख़त्म हाेते ही अंग्रेज भारत को आज़ादी दे सकते हैं। इसका नतीज़ा ये हुआ कि लगभग 12,00,000 भारतीय युवा स्वेच्छा से अंग्रेजी सेना में भर्ती हुए। उधर परिस्थितिवश सही, बड़ी तादाद (लगभग 15,000 सैनिक) में अंग्रेज सैनिकों और अफसरों को मोर्चे पर जाना पड़ा। इससे दो बातें हुईं। एक तो अफ़सरों को अपनी ज़िम्मेदारी भारतीयों को सौंपनी पड़ी। दूसरी- भारत में अंग्रेजी फौज की संख्या कम हो गई। इत्तिफाक से भारतीय राष्ट्रवादियों की ये दो प्रमुख माँगें भी थीं, जो पूरी हो गईं। लेकिन युद्ध लंबा खिंच गया। इससे भारतीयों में अंग्रेजों के समर्थन का उत्साह ठंडा पड़ गया। सरकार भी भारतीयों के उत्साह को भुना नहीं सकी। नए पदों पर उनकी भर्तियाँ नहीं की गईं। लोककल्याण के कार्यों के लिए धन आवंटन पर भी बंदिशें थीं। इसी दौरान 1916 में आयरलैंड में अंग्रेजों के ख़िलाफ़ बगावत (ईस्टर विद्रोह) हो गई। उसने भारतीय राष्ट्रवादियों की भावनाओं को फिर हवा दे दी। 

उधर, मेसोपोटामिया में तैनात भारतीय सेना के लिए भारत से होने वाली रसद आपूर्ति आदि बाधित हो गई। वहाँ अराजकता की स्थिति बनने लगी। उसे सँभालने के लिए हिंदुस्तान में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय कारोबारियों पर दबाव बनाया। इससे यह वर्ग अपने हितों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रवादियों के समर्थन में आ गया। मुसलिम भी उखड़ गए थे क्योंकि अंग्रेज तुर्की के ख़िलाफ़ भी लड़ रहे थे। वहाँ के प्रमुख इसलाम के ख़लीफ़ा थे। इधर, बाल गंगाधर तिलक भी अपने ‘स्वराज’ संबंधी विचारों को नया स्वरूप दे चुके थे। उन्होंने मुसलिमों में ब्रिटिश विरोधी भावनाओं के मद्देनज़र इस समुदाय के नेताओं को अपने जोड़ने की पहल की। इसमें वे सफल हुए और 1916 के ‘लखनऊ समझौते’ में वे कांग्रेस और मुसलिम लीग को साथ ले आए। इस समझौते ने देश में राष्ट्रवादी गतिविधियों को उल्लेखनीय तौर पर हवा दी। इससे इंग्लैंड में बैठी सरकार की चिंता बढ़ गई। लिहाज़ा, उसने तय किया कि भारतीय राष्ट्रवादियों को शांत करने के लिए कोई कदम उठाना ही पड़ेगा। दमन किया नहीं जा सकता था क्योंकि पर्याप्त सैन्यबल नहीं था। इसलिए वह डंडे के इस्तेमाल की जगह गाजर थमाने की जुगत भिड़ाने लगी।
(जारी…..)

अनुवाद : नीलेश द्विवेदी 
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(‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
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पिछली कड़ियाँ : 
49. भारत में सांकेतिक चुनाव प्रणाली की शुरुआत कब से हुई?
48. भारत ब्रिटिश हुक़ूमत की महराब में कीमती रत्न जैसा है, ये कौन मानता था?
47. ब्रिटेन के किस प्रधानमंत्री को ‘ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने वाला’ माना गया?
46. भारत की केंद्रीय विधायी परिषद में सबसे पहले कौन से तीन भारतीय नियुक्त हुए?
45. कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल का डिज़ाइन किसने बनाया था?
44. भारतीय स्मारकों के संरक्षण को गति देने वाले वायसराय कौन थे?
43. क्या अंग्रेज भारत को तीन हिस्सों में बाँटना चाहते थे?
42. ब्रिटिश भारत में कांग्रेस की सरकारें पहली बार कितने प्रान्तों में बनीं?
41.भारत में धर्म आधारित प्रतिनिधित्व की शुरुआत कब से हुई?
40. भारत में 1857 की क्रान्ति सफल क्यों नहीं रही?
39. भारत का पहला राजनीतिक संगठन कब और किसने बनाया?
38. भारत में पहली बार प्रेस पर प्रतिबंध कब लगा?
37. अंग्रेजों की पसंद की चित्रकारी, कलाकारी का सिलसिला पहली बार कहाँ से शुरू हुआ?
36. राजा राममोहन रॉय के संगठन का शुरुआती नाम क्या था?
35. भारतीय शिक्षा पद्धति के बारे में मैकॉले क्या सोचते थे?
34. पटना में अंग्रेजों के किस दफ़्तर को ‘शैतानों का गिनती-घर’ कहा जाता था?
33. अंग्रेजों ने पहले धनी, कारोबारी वर्ग को अंग्रेजी शिक्षा देने का विकल्प क्यों चुना?
32. ब्रिटिश शासन के शुरुआती दौर में भारत में शिक्षा की स्थिति कैसी थी?
31. मानव अंग-विच्छेद की प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले पहले हिन्दु चिकित्सक कौन थे?
30. भारत के ठग अपने काम काे सही ठहराने के लिए कौन सा धार्मिक किस्सा सुनाते थे?
29. भारत से सती प्रथा ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने क्या प्रक्रिया अपनाई?
28. भारत में बच्चियों को मारने या महिलाओं को सती बनाने के तरीके कैसे थे?
27. अंग्रेज भारत में दास प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएँ रोक क्यों नहीं सके?
26. ब्रिटिश काल में भारतीय कारोबारियों का पहला संगठन कब बना?
25. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय उद्योग धंधों को किस तरह प्रभावित किया?
24. अंग्रेजों ने ज़मीन और खेती से जुड़े जो नवाचार किए, उसके नुकसान क्या हुए?
23. ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ किस तरह ‘स्थायी बन्दोबस्त’ से अलग थी?
22. स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था क्यों लागू की गई थी?
21: अंग्रेजों की विधि-संहिता में ‘फौज़दारी कानून’ किस धर्म से प्रेरित था?
20. अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया? 
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?

 

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