भगवान सबके पास नहीं हो सकते, इसलिए माँ बनाई, उसके लिए रोज 10 मिनट दीजिए

खुशी अरोड़ा, दिल्ली

माता के समान कोई छाया नहीं। कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं। माता के समान इस विश्व में कोई जीवनदाता नहीं।

नमस्कार, आप सभी को। आज सभी माताओं को ‘मातृ दिवस’ की हार्दिक शुभकामनाएँ। आज एक छोटी बच्ची, जो अपनी माँ से बहुत प्यार करती है, वह अपने विचार आज इस लेख के द्वारा व्यक्त कर रही है।

माँ जो सुनने में एक छोटा सा शब्द है ,लेकिन उसका अर्थ बहुत बड़ा है। माँ, जिसको सुनते ही ऐसा लगता है, जैसे ज़िन्दगी में सारे दुख ख़त्म हो गए हैं। वो कहते हैं न भगवान सबके पास नहीं हो सकते। इसलिए उन्होंने माँ बनाईं। माँ इस दुनिया का वह सबसे कीमती तोहफ़ा है, जो भगवान ने हर बच्चे को दिया है। जिसको नहीं दिया उसके साथ स्वयं माँ दुर्गा है। मैंने अपनी माँ को अपने साथ बड़ा होते हुए देखा है। मुझे याद है, वह दिन जब मैं छोटी थी। मुझे बोलना नहीं आता था। चलना नहीं आता था। तब एक वही थी, जिसने मुझे चलना सिखाया। बोलना सिखाया और इस दुनिया की सारी मुसीबतों से लड़ना सिखाया।

मैंने कभी अपनी माँ को हारते हुए नहीं देखा। लेकिन हाँ, रोते हुए ज़रूर देखा है। मुझे याद है, जब भी उन्हें कुछ बुरा लगता या उन्हें हार मिलती किसी चीज में तो वह कोने में जाकर रोती थी। इसलिए ताकि उन्हें रोते देखकर उनका बच्चा कमज़ोर न हो। वह अपने बच्चों के सामने हमेशा हँसती रहती। मुस्कुराती रहती है।  अपने बच्चों को हमेशा प्रोत्साहित करती है। हौसला देती है। जिससे उसका बच्चा कमजोर न पड़े। बल्कि दुनिया का वह सबसे मजबूत इंसान बने, जिसे कोई न हरा सके। मैं जो भी किया है इस जिंदगी में अभी तक, चाहे वह पढ़ाई क्षेत्र में हो या किसी अन्य क्षेत्र में तो उसमें सबसे बड़ा योगदान मेरी माँ का है। क्योंकि वही मुझे इस दुनिया में लेकर आई। उसी ने मुझे इस दुनिया से लड़ना सिखाया। मुझे इतना मजबूत बनाया।

मुझे याद है, जब मैं छोटी थी तो मेरी माँ मुझे रोज पढ़ाती थी। हाँ, थोड़ा डाँट देती थी, मारती थी। वह मार और डाँट उस टाइम बहुत बुरी लगती थी लेकिन जब क्लास में मैं फर्स्ट आती थी, तो वही बहुत प्यारी और मीठी लगती थी। मैं जब भी अपनी माँ को पुकारती हूँ तो मेरे मुँह पर मुस्कान और दिल में बहुत सारा प्यार आ जाता हैं। माँ एक ऐसी शख़्सियत है इस दुनिया में, जिसे भगवान भी चाहते हैं। मेरी माँ मेरी हिम्मत, मेरी ताक़त और मेरी दुनिया है। कभी-कभी मुझे लगता है कि मेरी माँ वह धरती है, जिसके चारों तरफ मैं चाँद की तरह दिन-रात प्रतिदिन घूमती रह थी हूँ। डर लगता है जब कोई माँ से बिछड़ने को कहता है। क्योंकि बिन माँ की ज़िन्दगी कैसी? पर क्या करूँ एक लड़की हूँ। कभी न कभी तो अपनी माँ से बिछड़ना ही पड़ेगा।

माँ को सेलिब्रेट करने के लिए हमने अपने कैलेंडर में एक दिन निर्धारित किया है। लेकिन क्या माँ को सेलिब्रेट करने के लिए हमें सिर्फ़ एक दिन की ज़रूरत है? जब वह अपने बच्चों को देखकर हमेशा खुश होती है। अपने आप पर गर्व महसूस करती है, तो क्या हम रोज ‘मदर्स डे’ नहीं मना सकते? माना कि हम सब अपनी ज़िन्दगी में, अपनी दिनचर्या में बहुत व्यस्त हैं। लेकिन क्या हम अपनी माँ के लिए रोज दिन में 10 मिनट भी नहीं निकाल सकते? वह भी उस इंसान के लिए, जिसने अपनी पूरी ज़िन्दगी हमारे ऊपर न्योछावर कर दी? हमारी परवरिश में, हमारी शिक्षा में, अपना पूरा जीवन लगा दिया। और बदले में कुछ नहीं माँगा। बस, प्यार के मीठे बोल और इज़्ज़त की अपेक्षा ज़रूर करती होगी।

करे भी क्यों न? जिसने इतना परिश्रम करके हमें नौ महीने कोख में रखा। इस दुनिया में लाई। वह बदले में प्यार की हक़दार तो बनती है न? एक लड़की के लिए उसकी माँ उसकी रक्षक होती है क्योंकि जब लड़की इस दुनिया में आती है तो उसे बहुत कुछ सुनना पड़ता है। हमार समाज ही ऐसा है। लेकिन माँ होती है, जो अपनी बेटियों के लिए सभी से लड़ जाती है। उसके लिए तो उसका हर बच्चा चाहे वह लड़का हो या लड़की, एक समान है। वह कभी प्यार में तोल-मोल नहीं करती। इसलिए मेरा आपसे नम्र निवेदन है कि कृपया बड़े होकर अपनी माँ को ठुकराइए मत। उसे अपनाइए। रोज कम से कम 10 मिनट या आधा घंटा निकाल कर अपनी माँ को सेलिब्रेट करिए। 

आशा करती हूँ आपको ये विचार अच्छे लगे होंगे। सभी को ‘मदर्स डे’ बधाई और शुभकामनाएँ। आप सबका तहे दिल से धन्यवाद कि आपने अपना कीमती समय निकालकर मेरा यह लेख पढ़ा। 

#mothersday

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(खुशी दिल्ली के आरपीवीवी सूरजमल विहार स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ती हैं। हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिख लेती हैं। उन्होंने वॉट्सएप सन्देश के जरिए यह पोस्ट #अपनीडिजिटलडायरी तक पहुँचाई है। वह डायरी की पाठकों में से एक हैं।)
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