दो किनारों के बीच नदी
टीम डायरी
पुरुष और स्त्री के सोचने के तरीक़े में फ़र्क होता है। सभी जानते हैं। लेकिन इस अन्तर की गहराई की थाह कुछेक लोग ही ले पाते हैं। और इनमें भी चन्द ही होते हैं, जो इस अन्तर की थाह लेने के बाद उसे शब्दों में व्यक्त कर सकें। वह भी बेहद चुनिन्दा शब्दों में।
#अपनीडिजिटलडायरी के सुधी-सदस्यों में से एक हैं समीर पाटिल। भोपाल, मध्य प्रदेश में नौकरी करते हैं। मध्य प्रदेश के ही रहने वाले हैं। पढ़ने, लिखने में स्वाभाविक रुचि रखते हैं। उन्होंने अपने चन्द शब्दों में स्त्री और पुरष के सोचने के तरीक़े में अन्तर को अभिव्यक्त करने की क़ोशिश की है।
समीर लिखते हैं...
जब उससे एक छोटी से बात कही, तो उसने एकदम इंकार कर दिया था। जबकि उसमें ऐसी कोई बात नही थी कि इंकार किया जाए। सहसा मानव मन की कुंडलीनुमा चालों पर मानों रौशनी गिरी और कुछ इन शब्दों में समझ पड़ा, पुरुष और स्त्री मन के सोचने के भिन्न तरीकों के बीच बहता जीवन…
वह चाहती है तुम उसे जीतकर अधिकार में ले लो।
और वह तुम्हारे समर्पण की अपेक्षा करता है।।
दो समानान्तर प्रतीक्षा बिन्दुओं के बीच अठखेलियाँ कर जो बहता है वह जीवन है।
वही जीवन है।।
इस ऑडियो में सुनिएगा। समीर के शब्दों को आवाज़ दी है- नीलेश द्विवेदी ने।
आज रविवार, 18 मई के एक प्रमुख अख़बार में ‘रोचक-सोचक’ सा समाचार प्रकाशित हुआ। इसमें… Read More
मेरे प्यारे बाशिन्दे, मैं तुम्हें यह पत्र लिखते हुए थोड़ा सा भी खुश नहीं हो… Read More
पाकिस्तान के ख़िलाफ़ चलाए गए भारत के ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ का नाटकीय ढंग से पटाक्षेप हो… Read More
अगर आप ईमानदार हैं, तो आप कुछ बेच नहीं सकते। क़रीब 20 साल पहले जब मैं… Read More
कल रात मोबाइल स्क्रॉल करते हुए मुझे Garden Spells का एक वाक्यांश मिला, you are… Read More
यह 1970 के दशक की बात है। इंग्लैण्ड और ऑस्ट्रेलिया के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई… Read More