अपूर्वी वशिष्ठ, दिल्ली से
आज युवा दिवस है। स्वामी विवेकानंद की जयन्ती। और इस मौके पर दिल्ली में पाँचवी कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची अपूर्वी ने पर्यावरण से जुड़े मसले पर समानुभूति दर्शाती एक खूबसूरत कविता पढ़ी है। बिल्कुल उसी सम्वेदना के साथ, जिस वेदना को महसूस करते हुए सुशील शुक्ल जी ने इसे लिखा होगा।
और आज जब उत्तराखंड में जोशीमठ नाम का एक प्राचीन क़स्बा पर्यावरण के साथ किए जा रहे खिलवाड़ के नतीजे में अतीत होने के मुहाने पर खड़ा है, हिमालय दरकने लगा है, तो यह वेदना कितनी बड़ी हो जाती है। सम्वेदना कितनी मौज़ूँ हो जाती है।
ऑडियो में है, सुनिएगा और महसूस कीजिएगा, इन शब्दों और भावनाओं को… छोटे-छोटे बच्चे महसूस कर सकते हैं तो हम, आप क्यों नहीं?
बाहर बारिश हो रही थी। पानी के साथ ओले भी गिर रहे थे। सूरज अस्त… Read More
एक ट्रेन के हिन्दुस्तान में ‘ग़ुम हो जाने की कहानी’ सुनाते हैं। वह साल 2016… Read More
देश के दो राज्यों- जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में इस वक़्त विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया चल… Read More
तनाव के उन क्षणों में वे लोग भी आत्महत्या कर लेते हैं, जिनके पास शान,… Read More
छोटी सी बच्ची, छोटा सा वीडियो, छोटी सी कविता, लेकिन बड़ा सा सन्देश... हम सब… Read More
शीर्षक को विचित्र मत समझिए। इसे चित्र की तरह देखिए। पूरी कहानी परत-दर-परत समझ में… Read More
View Comments
Nice kabita apoorvi
👍
Very nice beta 👍